বুধবার, ২৩ মার্চ, ২০১১

ये तुम्हें भी ख़बर है और मुझे भी पता
कि वो शख्स  कभी नज़र नहीं आता,
फिर किस की ख़ातिर ये ख़ून बहा  -
वो हो न हो, ज़िन्दा हैं सांसें तुम में भी
मुझ में भी, सदियों से है ये सिलसिला,
ग़र पा जावो उसे किसी मोड़ पे लिखवा
लेना ये क़ायनात अपने नाम पूरा ही !
हमने तो छोड़ दी दुनिया मुहोब्बत के
लिए,न ख़बर कोई न है अपना पता !
--- शांतनु सान्याल
 

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